Posts

संविधान 1 : स्वामी किसे कहना चाहिए?

संविधान 1 : स्वामी किसे कहना चाहिए? जब मैं अपने घर में होता हूँ तब भी मैं कहता हूँ कि मैं घर का स्वामी हूँ। तब हमें अपनेपन की अनुभूति होती है, जिसे स्वामित्व की भावना कहा जाता है। मैं ख़ुशी से मस्त रहता हूँ. यदि किसी अन्य व्यक्ति के कोई अधिकार होंगे तो मैं उनका निर्णय करूंगा। यदि अन्य अधिकारों के अतिरिक्त इस पर सामुदायिक अधिकार भी हैं, तो भी मुझे निर्णय लेने का अधिकार है, कम से कम निर्णय लेने की प्रक्रिया में मेरी सक्रिय और निर्णायक भागीदारी तो है। इतना ही नहीं, इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने की प्रक्रिया में भी मेरी निर्णायक भूमिका है.' मुझे यह निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता है कि मैं अपने घर में किस वस्तु का उपयोग करूं और किस वस्तु का उपयोग घर के सभी सदस्य समान रूप से करें। यह स्वतंत्रता स्वामित्व का प्रतीक है। यही बात तब होती है जब सामग्री का उपयोग सामान्य रूप से किया जाता है। मुझे यह ध्यान रखना होगा कि सामग्री उपभोग करने की मेरी स्वतंत्रता के साथ-साथ अन्य व्यक्तियों को भी उतनी ही स्वतंत्रता है। तब सामुदायिक स्वामित्व के नियम लागू होते हैं। सामुदायिक स्वामित्व में, स्वामित्व अन्य म...

संविधान 2: मौलिक अधिकार

संविधान 2: मौलिक अधिकार नागरिक की परिभाषा पर गौर करते हुए हमने देखा है कि नागरिक मूलतः वह व्यक्ति या निवासी है जिसे नागरिक अधिकार प्राप्त हैं। इन नागरिक अधिकारों में व्यापक अर्थों में मानवाधिकार, राजनीतिक अधिकार भी शामिल हो सकते हैं। भारतीय संविधान के अध्याय III में निहित मौलिक अधिकारों में नागरिक अधिकारों को भी शामिल करना होगा, जो न केवल भारत संघ की दृष्टि से परम पवित्र है, बल्कि मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों के नागरिक अधिकार भी हैं। मूल भारतीय राज्य संविधान में भारतीय नागरिकों को जो मूल अधिकार सामान्यतः सुरक्षित हैं, उन्हें भारतीय राज्य संविधान में भी संरक्षित किया गया है। इनका सामान्य विश्लेषण इस प्रकार है- 1. समानता का अधिकार- इसमें निम्नलिखित पहलू भी शामिल होंगे: कानून के समक्ष सभी के साथ समान व्यवहार, धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के विभिन्न आधारों पर भेदभाव को रोकना, सार्वजनिक रोजगार के मामलों में सभी के साथ समान व्यवहार करना। और अस्पृश्यता और उपाधियों को समाप्त कर देना। 2. स्वतंत्रता का अधिकार- इसमें निम्नलिखित शामिल होंगे: भाषण और अभिव्यक्ति, सभा, किसी विशेष उद्देश्य के ...

कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी

कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी का रिपोर्ट 22 मार्च 1955 को स्वीकारा गया था। इसके पश्चात हर भारतीय को चाहिए कि वह सौर दिनांक का प्रयोग करें। किंतु हम "ईसवी" अर्थात ईसा मसीह के दिनांक का प्रयोग करते हैं। हम सौर दिनांक के विषय में जानकारी ले और हर दिन इसका प्रयोग करें। इस विषय में मैं कभी संक्षेप में लिखूंगा। किंतु आपकी जानकारी के लिए जो आपको पता होनी चाहिए वह बाते आज बता रहा हूं। सौर वर्ष को सवंत या सवंत्सर कहते हैं। शक, साल इत्यादि कहना गलत होगा। सौर मास और उनके दिन नीचे दिए गए है। चैत्र ३० वैशाख ३१ जेष्ठ ३१ आषाढ़ ३१ श्रावण ३१ भाद्रपद ३१ अश्विन ३० कार्तिक ३० मार्गशीर्ष / अग्रहायण ३० पौष ३० माघ ३० फाल्गुन ३० अर्थात दूसरे से लेकर छठे मास तक ३१ दिन के तथा अन्य सारे मास ३० दिन के होते हैं। अंदाजन हर अंग्रेजी महिनेके २२ तारीख के आसपास सौर मास शुरू होता है। जॉर्जियन अर्थात अंग्रेजी कैलेंडर पहले 10 मास का था। वह सौर कैलेंडर का एक भ्रष्ट रूप था। उन के अंतिम 4 मास के नाम आज भी सौर कैलेंडर जैसे संस्कृत नामकरण के समीप जाने वाले है। अंतिम चार अर्थात 10 में से अंतिम चार म...

विनीता शर्मा वर्सेस राकेश शर्मा एंड अदर्स : पार्टिशन के विषय मे

विनीता शर्मा वर्सेस राकेश शर्मा एंड अदर्स : पार्टिशन के विषय मे सर्वोच्च न्यायालय के लार्जर बेंच के सामने हिन्दू कन्याओं को हिंदू अविभाजित कुटुंब में अंशभाग देने के विषय में दिनांक 11 ऑगस्ट 2020 को बहुत ही महत्वपूर्ण न्यायनिर्णय दिया गया। विभागीय पीठ (डिव्हिजन बेंच) के न्यायाधीश सन्मानीय न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर, न्यायाधीश एम. आर. शाह है।  जीत द्वारा राष्ट्र ऐक्य व्यासपीठ के तथा आरजीएलएसपीएल के वाचकों के लिए न्यायनिर्णय का सारांश तथा प्रमुख विशेषतांए यंहा पर दी जा रही है, वो इस प्रकार: 1. आसान भाषा में यह न्यायनिर्णय मुख्यतः हिंदू उत्तराधिकार सुधारना अधिनियम, 2005 की प्रकाश में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 6 का स्पष्टीकरण करता है। तथा विभागीय पीठ (डिव्हिजन बेंच) के दो न्यायनिर्णयों के विषय में भी पुनर्विचार करता है। वह न्यायनिर्णय है: 1.Prakash and others vs Phulavati and others (2016) 2 SCC 36; तथा 2.Danamma @ Suman Surpur and another versus Amar and others (2018) 3 SCC 343। 2. इस प्रश्न पर इस न्यायनिर्णय में विचार किया गया कि, 2005 का सुधारना अध...