कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी
कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी
कैलेंडर रिफॉर्म कमिटी का रिपोर्ट 22 मार्च 1955 को स्वीकारा गया था। इसके पश्चात हर भारतीय को चाहिए कि वह सौर दिनांक का प्रयोग करें। किंतु हम "ईसवी" अर्थात ईसा मसीह के दिनांक का प्रयोग करते हैं।
हम सौर दिनांक के विषय में जानकारी ले और हर दिन इसका प्रयोग करें।
इस विषय में मैं कभी संक्षेप में लिखूंगा। किंतु आपकी जानकारी के लिए जो आपको पता होनी चाहिए वह बाते आज बता रहा हूं।
सौर वर्ष को सवंत या सवंत्सर कहते हैं। शक, साल इत्यादि कहना गलत होगा।
सौर मास और उनके दिन नीचे दिए गए है।
चैत्र ३०
वैशाख ३१
जेष्ठ ३१
आषाढ़ ३१
श्रावण ३१
भाद्रपद ३१
अश्विन ३०
कार्तिक ३०
मार्गशीर्ष / अग्रहायण ३०
पौष ३०
माघ ३०
फाल्गुन ३०
अर्थात दूसरे से लेकर छठे मास तक ३१ दिन के तथा अन्य सारे मास ३० दिन के होते हैं।
अंदाजन हर अंग्रेजी महिनेके २२ तारीख के आसपास सौर मास शुरू होता है।
जॉर्जियन अर्थात अंग्रेजी कैलेंडर पहले 10 मास का था। वह सौर कैलेंडर का एक भ्रष्ट रूप था। उन के अंतिम 4 मास के नाम आज भी सौर कैलेंडर जैसे संस्कृत नामकरण के समीप जाने वाले है। अंतिम चार अर्थात 10 में से अंतिम चार मास, सातवां, आठवां, नवा और दसवा। उनके नाम सप्त अंबर, अष्ट अंबर, नव अंबर और दश अंबर के संस्कृत रूपांतरण September, October, November, December। जब बाद में सौर 12 मासों के विषय में जॉर्जियन लोगों को पता चला तो दो महीने बढ़ाएं। बीच में। सम्राट जूलियस सीजर के नाम से July और सम्राट अगस्तस सीजर के नाम से August। इस वजह से सौर मास ठीक २२ तारीख को शुरू नही हो पाता। इंग्लिश कैलेंडर में लीप ईयर का प्रावधान इसी कारण किया गया है, ताकी सौर दिनदर्शिका से उसे मिलाया जा सके।
किंतु भारतीय सौर कैलेंडर तथा Indian solar calendar अधिक वैज्ञानिक है। जॉर्जियन कैलेंडर को इंडियन सोलर कैलेंडर से मिलना चाहिए।
वह जब होगा तब हो ही जाएगा।
कोल्हापुर में प्रकाशित होने वाले महालक्ष्मी कैलेंडर में सौर मास कब आरंभ हो रहा है इसके विषय में जानकारी दी जाती है। और श्रीमान धनाजी शिंदे जैसे कार्यकर्ता इस विषय में दैनिक सौर दिनांक बताते हैं। उनका कार्य सराहनीय है।
आज हमें इंडियन सोलर डेट को प्रयोग में लाने की शपथ लेनी हैं।
आप सब को शिव की सौगंध।
आप का अपना
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